इस्लामी विवाह (निकाह) के संदर्भ में, मेहर (दहेज) वह राशि है जिस पर पति पत्नी को भुगतान करने के लिए सहमत होता है। यह इस्लामी कानून में विवाह अनुबंध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मेहर के दो प्रकार हैं जिन पर सहमति हो सकती है: मेहर-ए-मुवज्जल और मेहर-ए-मुअज्जल। यहाँ दोनों के बीच अंतर बताया गया है: 1. मेहर-ए-मुवज्जल (तत्काल मेहर): परिभाषा: मेहर-ए-मुवज्जल मेहर की वह राशि है जो तुरंत या विवाह के समय भुगतान की जाती है। भुगतान का समय: पूरी राशि विवाह अनुबंध के समय या उसके तुरंत बाद निर्दिष्ट समय पर देय होती है। उदाहरण: यदि विवाह अनुबंध में निर्दिष्ट किया गया है कि मेहर 1 लाख रुपये है और यह विवाह के समय देय है, तो इसे मेहर-ए-मुवज्जल माना जाता है। 2. मेहर-ए-मुअज्जल (स्थगित मेहर): परिभाषा: मेहर-ए-मुअज्जल मेहर की वह राशि है जिसे स्थगित किया जाता है और बाद में भुगतान किया जाता है, आमतौर पर विवाह के विघटन के बाद (जैसे कि तलाक या पति की मृत्यु की स्थिति में)। भुगतान समय: भुगतान स्थगित कर दिया जाता है, और पत्नी तलाक, विधवा होने या विवाह अनुबंध में सहमत शर्तों के अनुसार इसका हकदार होती है। उदाहरण: यदि विवाह अनुबंध में निर्दिष्ट किया गया है कि मेहर का भुगतान पति के तलाक या मृत्यु पर किया जाएगा, तो इसे मेहर-ए-मुअज्जल माना जाता है। मुख्य अंतर: भुगतान समय: मेहर-ए-मुवज्जल का भुगतान तुरंत किया जाता है, जबकि मेहर-ए-मुअज्जल का भुगतान स्थगित किया जाता है। भुगतान की प्रकृति: मेहर-ए-मुवज्जल का भुगतान विवाह के समय किया जाता है, जबकि मेहर-ए-मुअज्जल का भुगतान बाद में किया जाता है, आमतौर पर विवाह समाप्त होने के बाद या अन्य विशिष्ट परिस्थितियों में। दोनों प्रकार के मेहर इस्लामी विवाह में कानूनी दायित्व हैं और पत्नी के लिए सुरक्षा और सम्मान का एक रूप हैं।
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