हां, भारत में सरकारी अस्पताल चिकित्सा लापरवाही के लिए उत्तरदायी हैं। स्पष्टीकरण: सरकारी अस्पताल और उनके डॉक्टर सार्वजनिक प्राधिकरण हैं और मरीजों की देखभाल करने का कर्तव्य रखते हैं। अगर चिकित्सा सेवा में लापरवाही या कमी से नुकसान या चोट लगती है, तो अस्पताल और डॉक्टरों को कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। न्यायालयों और उपभोक्ता मंचों ने लगातार माना है कि सार्वजनिक अस्पताल लापरवाही के दावों से मुक्त नहीं हैं। पीड़ित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं, या सरकारी अस्पतालों और डॉक्टरों के खिलाफ दीवानी या आपराधिक कार्रवाई कर सकते हैं। अगर लापरवाही साबित होती है तो सरकारी अस्पताल को मुआवजा देने या अन्य कानूनी परिणामों का सामना करने की आवश्यकता हो सकती है। सारांश: सरकारी अस्पतालों को निजी अस्पतालों की तरह ही चिकित्सा लापरवाही के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है और उन्हें उचित चिकित्सा देखभाल प्रदान करनी चाहिए।
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