भारत में चिकित्सा लापरवाही का मामला दर्ज करने की सीमा अवधि आम तौर पर दो साल कथित लापरवाही की तारीख से या कार्रवाई का कारण उत्पन्न होने से होती है। विवरण: सीमा अधिनियम, 1963 के तहत, अनुसूची का अनुच्छेद 54 चिकित्सा लापरवाही सहित अपकृत्यों पर लागू होता है। कार्रवाई का कारण वह तारीख है जब चोट या नुकसान का पता चलता है, जरूरी नहीं कि उपचार की तारीख हो। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि चिकित्सा लापरवाही का पता बाद में चल सकता है। नाबालिगों या विकलांग व्यक्तियों से जुड़े मामलों में, सीमा अवधि तदनुसार बढ़ाई जा सकती है। कभी-कभी अदालतें “विलंबता” या “विलंबित खोज” के सिद्धांत को लागू करती हैं - घड़ी तभी चलना शुरू होती है जब लापरवाही का पता चलता है या पता चलना चाहिए था। व्यावहारिक नोट: शिकायत को जल्द से जल्द दर्ज करना उचित है क्योंकि बचाव पक्ष द्वारा देरी को चुनौती दी जा सकती है। उपभोक्ता संरक्षण मामलों में (जहाँ अक्सर चिकित्सा लापरवाही की शिकायतें दर्ज की जाती हैं), उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम भी दो साल की सीमा अवधि निर्धारित करता है। सारांश: लापरवाही की तारीख से या जब लापरवाही का पता चलता है, तब से दो साल भारत में चिकित्सा लापरवाही के दावों के लिए सामान्य सीमा अवधि है।
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