हां, भारतीय कानून के तहत भावनात्मक या मौखिक दुर्व्यवहार को घरेलू हिंसा माना जाता है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 स्पष्ट रूप से शारीरिक हिंसा से परे दुर्व्यवहार के विभिन्न रूपों को मान्यता देता है। अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, घरेलू हिंसा में न केवल शारीरिक नुकसान शामिल है, बल्कि यह भी शामिल है: 1. भावनात्मक दुर्व्यवहार / मौखिक दुर्व्यवहार: इसमें शामिल हैं: अपमान, नाम-पुकारना, अपमान नुकसान पहुँचाने या चोट पहुँचाने की बार-बार धमकी पीड़ित के आत्मसम्मान को नुकसान पहुँचाने वाली आलोचना चरित्र या नैतिक आचरण पर आरोप महिला को दूसरों से बात करने से रोकना या उसे अलग-थलग करने के लिए मजबूर करना तलाक, घर से निकालने या बच्चों से अलग करने की धमकी 2. कानूनी मान्यता: अधिनियम "भावनात्मक या मौखिक दुर्व्यवहार" को व्यापक शब्द "घरेलू हिंसा" के तहत परिभाषित करता है, जिसमें शामिल हैं: मानसिक यातना और क्रूरता बार-बार ताने और अपमान अपमानजनक भाषा, विशेष रूप से एक महिला की बच्चा पैदा करने में असमर्थता या दहेज से संबंधित टिप्पणियों के बारे में 3. सुरक्षा और उपाय: भावनात्मक या मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करने वाली महिला: घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत सुरक्षा अधिकारी, मजिस्ट्रेट या के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकती है यहां तक कि पुलिस भी सुरक्षा आदेश, निवास आदेश, मौद्रिक राहत और परामर्श मांगें अपने बच्चों के लिए हिरासत आदेश प्राप्त करें अधिनियम की धारा 22 के तहत मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे के लिए फाइल करें 4. महत्वपूर्ण निर्णय: भारत में न्यायालयों ने बार-बार माना है कि भावनात्मक शोषण घरेलू हिंसा का एक गंभीर रूप है। उदाहरण के लिए, कई मामलों में, लगातार अपमान या चरित्र हनन को मानसिक क्रूरता के रूप में माना गया है, जो राहत देने के लिए पर्याप्त है। निष्कर्ष: हां, भारतीय कानून के तहत, भावनात्मक और मौखिक दुर्व्यवहार घरेलू हिंसा के कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त रूप हैं। इस तरह के दुर्व्यवहार से पीड़ित महिला को घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत कानूनी सुरक्षा, राहत और मुआवजे की मांग करने का पूरा अधिकार है।
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